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हिंदी कहानियां - भाग 115

गाली पास ही रह गयी


गाली पास ही रह गयी   एक लड़का बड़ा दुष्ट था। वह चाहे जिसे गाली देकर भाग खड़ा होता। एक दिन एक साधु बाबा एक बरगद के नीचे बैठे थे। लड़का आया और गाली देकर भागा। उसने सोचा कि गाली देने से साधुचिढ़ेगा और मारने दौड़ेगा, तब बड़ा मजा आयेगा लेकिन साधु चुपचाप बैठे रहे। उन्होंने उसकी ओर देखा तक नहीं। लड़का और निकट आ गया और खूब जोर- जोर से गाली बकने लगा। साधु अपने भजन में लगे थे। उन्होंने उसकी ओर कोई ध्यान न दिया। तभी एक दूसरे लड़के ने आकर कहा- ‘बाबा जी! यह आपको गालियाँ देता है?’ बाबा जी ने कहा- ‘हाँ भैया, देता तो है, पर मैं लेता कहाँ हुँ। जब मैं लेता नहीं तो सब वापस लौटकर इसी के पास रह जाती हैं।’ लड़का बोला- लेकिन यह बहुत खराब गालियाँ देता है। साधु- यह तो और खराब बात है। पर मुझे तो वे कहीं नहीं चिपकीं, सब की सब इसी के मुख में भरी हैं। इससे इसका ही मुख गंदा हो रहा है। गाली देने वाला लड़का सब सुन रहा था। उसने सोचा, साधु ठीक ही तो कह रहा है। मैं दूसरों को गाली देता हूँ तो वे ले लेते हैं। इसी से वे तिलमिलाते हैं, मारने दौड़ते हैं और दुःखी होते हैं। यह गाली नहीं लेता तो सब मेरे पास ही तो रह गयीं। लड़का मन ही मन बहुत शर्मिंदा हुआ और सोचने लगा छिःमेरे पास कितनी गंदी गालियाँ हैं। वह साधु के पास गया, क्षमा माँगी और बोला- बाबाजी! मेरी यह गंदी आदत कैसे छूटे और मुख कैसे शुद्ध हो? साधु ने समझाया -‘पश्चात्ताप करने तथा फिर ऐसा न करने की प्रतिज्ञा करने से बुरी आदत दूर हो जायेगी। मधुर वचन बोलने और भगवान् का नाम लेने से मुख शुद्ध हो जायेगा।’

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